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<div dir="auto" style="text-align: justify;"><strong>Important Health News: </strong>बिमारी से जूझ रहे एक मरीज को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत मिली है. उच्च न्यायालय ने अल्ट्रासाउंड मशीन मरीज के घर ले जाने की अनुमति दे दी है. एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि पीएनडीटी एक्ट (Pre-Conception And Pre-Natal Diagnostic Techniques Act, 1994) लागू करने का मकसद लिंग परीक्षण या भ्रूण की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड मशीनों के दुरुपयोग को रोकना है. लेकिन किसी ऐसी परिस्थिति जब मरीज की जान बचाना हो तो यह आवश्यक है, तब कोर्ट इसकी परमिशन दे सकते हैं.</div>
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<div dir="auto" style="text-align: justify;"><strong>क्या है पूरा मामला</strong></div>
<div dir="auto" style="text-align: justify;">दरअसल, 70 साल के एक बुजुर्ग प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी से पीड़ित हैं. इसे स्टील-रिचर्डसन-ओल्स्जवेस्की सिंड्रोम भी कहा जाता है. यह दिमाग से जुड़ा डिसऑर्डर होता है, जो मस्तिष्क के हिस्से की कोशिकाओं पर हमला करता है. इस बीमारी में चलने, संतुलन बनाने और आंखों की मूवमेंट में परेशानी आती है. उनके इलाज के लिए घर पर ही आईसीयू बनाया गया है. कोर्ट में दायर याचिका में बताया गया है कि बुजुर्ग मरीज का ट्रीटमेंट वैसे तो घर में ही चल रहा है लेकिन अल्ट्रासाउंड मशीन न होने के चलते अल्ट्रासाउंड के लिए उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी तबीयत बिगड़ गई। इसलिए कोर्ट से परमिशन मांगी गई थी कि अल्ट्रासाउंड मशीन को घर ले जाने की अनुमति दें.</div>
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<div dir="auto" style="text-align: justify;"><strong>कोर्ट ने क्या कहा</strong></div>
<div dir="auto" style="text-align: justify;">इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव नरूला ने अस्पताल को अल्ट्रासाउंड मशीन मरीज के घर ले जाने का निर्देश दिया. जस्टिस नरूला ने कहा कि अगर कोर्ट इसकी परमिशन नहीं देता है तो यह मरीज के जीवन के अधिकार का हनन होगा. उन्होंने साफ किया कि अगर किसी तरह की इमरजेंसी है और मरीज उस कंडिशन में नहीं है कि उसे अस्पताल ले जाया जाए तो ऐसी स्थिति में पीएनडीटी एक्ट को लेकर सरकार का नियम आड़े नहीं आ सकता. </div>
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<div dir="auto" style="text-align: justify;"><strong>पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन नहीं</strong></div>
<div dir="auto" style="text-align: justify;">स्टिस संजीव नरूला ने कहा कि पीएनडीटी एक्ट जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी के लिए है. जिसका मकसद सामाजिक बुराई को खत्म करना है लेकिन इस केस में ऐसी स्थिति का दूर-दूर तक वास्ता नहीं. इसलिए मरीज की जान बचाने अल्ट्रासाउंड मशीन को मरीज के घर शिफ्ट करने में पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन नहीं होगा. </div>
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